पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का नागपुर प्रस्थान

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नागपुर में तृतीय वर्ष प्रशिक्षण वर्ग में प्रणब मुखर्जी को मुख्यातिथि के रूप में संघ द्वारा बुलाया जाना भारतीय राजनीतिज्ञों के लिए एक विशिष्ट घटना थी। संघ विचारधारा का विरोध करने वाली कॉंग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रणब मुखर्जी जोकि आगे चलकर भारत के राष्ट्रपति बने, उनके एक कदम नें कॉंग्रेस पार्टी को भी चिंतित कर दिया। राष्ट्रपति के रूप में उनका कार्यकाल शुरू तो कॉंग्रेस राज में हुआ परंतु उनके कार्यकाल में ही कॉंग्रेस सत्ता का सूर्य अस्त हो चुका था और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा का उदय हो चुका था। उनके संबंध प्रधानमंत्री मोदी से काफी मधुर रहे और जिस टकराव का अंदाजा कॉंग्रेस पार्टी की चाह थी वह संभव न हुआ। पूर्व राष्ट्रपति के रूप में भी प्रणब मुखर्जी नें अपने विचार स्पष्ट रूप से रखे और यही कारण था कि संघ के बुलावे को न सिर्फ स्वीकार किया बल्कि वो नागपुर संघ कार्यालय भी गए। संघ का संवाद हमेशा खुला होता है और राजनीतिक मतभेद से प्रभावित नहीं होता। संघ नें समय समय पर ऐसे वक्ताओं को आमंत्रित किया जोकि संघ को सार्वजनिक जीवन में कभी स्वीकार नहीं करते। संघ...