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गंगा जमुनी तहजीब - हकीकत

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राजनीति में धर्मनिरपेक्ष होने की पहली शर्त है गंगा जमुनी तहजीब के बारे में अधिक से अधिक बार जिक्र करना, जैसे कि यह शब्द ही सेक्युलर होने की पहचान है और इस शब्द पर सेक्युलर लोगों का कॉपीराइट है। यह शब्द कब बना, कैसे बना और किस आधार पर बना, इसपर मेरी रिसर्च अधूरी है। यह भारतीय राजनीति में बीते सात दशक से, कुछ राजनीतिक दलों के लिए अमृत समान है और इसी शब्द से उनका अस्तित्व बना रहा। जैसे क्रिकेट में फील्डिंग करने वाली टीम के मुंह पर आउट शब्द रखा रहता है उसी प्रकार उन लोगो के मुंह पर यह रखा रहता है। गंगा जमुनी तहजीब शब्द का अर्थ सभी ने अपने अनुसार बताया लेकिन ज्यादातर इसका इस्तेमाल दोनों समुदायों के साथ रहने और मिलजुलकर समाज में स्थान रखने को लेकर करते हैं। इसका अर्थ बताया जाता है कि दोनों समुदाय सुखमय रह रहे हैं परंतु राजनीतिक सेक्युलर लोग इसका विश्लेषण करते समय केवल मुस्लिम समुदाय के सुख की चिंता करते हुए देखे जा सकते हैं। एक समुदाय से गहरा लगाव आजकल धर्मनिरपेक्ष होने का भी अर्थ बन चुका है। इन राजनीतिक सेक्युलर जमात के लोगों ने ही इस शब्द को मुस्लिम तुष्टिकरण का पर्यावाची बना दिया गया है ...