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महा-शक्ति बनता भारत

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भारत एक प्राचीन सभ्यता और समृद्ध संस्कृति का वाहक होने के साथ-साथ आज वैश्विक शक्ति के रूप में उभरता हुआ राष्ट्र बन चुका है। इस परिप्रेक्ष्य में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के समय 1998 में हुए परमाणु परीक्षण ने भारत को एक नई पहचान दिलाई थी। यह घटनाक्रम सिर्फ एक शक्ति प्रदर्शन नहीं था , बल्कि इसका उद्देश्य भारत को विश्व में एक मजबूत और आत्मनिर्भर राष्ट्र के रूप में प्रस्तुत करना था। भारत की ताकत को मान्यता दिलाने के लिए एक बड़ा कदम था परमाणु विस्फोट , जो दुनिया के सामने एक कड़ा संदेश था। यह वही दौर था जब भारत ने अपनी सैन्य शक्ति को सिद्ध कर दिया और यह साबित कर दिया कि वह किसी भी चुनौती का सामना करने में सक्षम है। परमाणु शक्ति के रूप में भारत की शुरुआत भारत ने 1974 में पहले परमाणु परीक्षण का प्रयास किया था , जिसे इंदिरा गांधी के नेतृत्व में " Smiling Buddha" के नाम से जाना गया था। हालांकि उस समय भारत अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते इसे खुलकर स्वीकार नहीं कर सका। इसके बाद , 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के कार्यकाल में 5 परमाणु परीक्षणों के सफल संपन्न होने से भारत ने विश्...

ईसाई नववर्ष - इतिहास और विस्तृत जानकारी

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ईसाई नववर्ष न तो वैज्ञानिक गणनाओं में लाभदायक है और न ही इतिहास की दृष्टि में। अगर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो ईसाई नववर्ष एक कल्पना है जोकि धार्मिक त्यौहार तो हो सकता है लेकिन खगोलीय घटना से कोई जुड़ाव नहीं है। एक जनवरी को भारत में धूमधाम से मनाती नई पीढ़ी को यह पता होना आवश्यक है कि ईसाई नववर्ष कोई एकमात्र नववर्ष नहीं है जो विश्व में मनाया जाता है बल्कि वैचारिक गुलाम बनाने का एक जरिया मात्र है

मोदी नेतृत्व में विश्व पटल पर चमका भारत

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  केंद्र में बीजेपी सरकार बनते ही भारत की विदेश नीति में एक अद्भुत परिवर्तन हुआ है. प्रधानमंत्री जी का वो बयान कि "न हम आँख झुका कर बात करेंगे न आँख दिखाकर बात करेंगे, हम आँख से आंख मिलाकर बात करेंगे" सार्थक होता दिख रहा है. सत्ता में आते ही ताबड़तोड़ विदेशी दौरे करके मोदी जी ने अपनी दूरदर्शिता का परिचय दे दिया था. वर्षो से सुस्त हालत में पड़े रिश्तो में मोदी जी ने बड़ी गर्मजोशी से पक्के किये और पुरे विश्व में भारत की एक पॉजिटिव छवि बना दी. शायद ही कोई ऐसा देश हो जिसका विश्व में थोडा भी प्रभाव है और प्रधानंत्री जी ने वंहा की यात्रा न की हो. आज भारत की पहचान एक ताकतवर राष्ट्र के रूप में होती है. अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर भारत अब अपने विचार रखना शुरू कर चूका है और अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन जैसे देशो के साथ द्विपक्षीय वार्ता में किसी तीसरे देश के बारे में अगर चर्चा हो तो अब नया नही है. पिछले चार साल में मोदी सरकार ने भारत की इमेज को परिवर्तित करके रख दिया है. हाल ही में अर्जेंटीना में आयोजित G20 सम्मेलन के दौरान भारत - अमेरिका - जापान की त्रिपक्षीय वार्त...

हमारे लिए भाषा का महत्त्व

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किसी भी देश के लिए उसकी भाषा उसकी पहचान और गौरव का प्रतीक होती है। भाषा उस संस्कृति का अभिन्न हिस्सा होती है , जिस पर पूरी सभ्यता और समाज आधारित होते हैं। एक देश की भाषा न केवल उसकी परंपराओं और रीति-रिवाजों को बनाए रखने का एक साधन होती है , बल्कि यह राष्ट्रीय एकता और समृद्धि का प्रतीक भी बनती है। राष्ट्र की भाषा में इतनी ताकत होती है कि वह कभी कभी राष्ट्र की एकता को बनाए रखने और सामाजिक समरसता को प्रोत्साहित करने में अहम भूमिका निभाती है। उदाहरण के लिए , दुनिया के कई देशों में भाषाओं के आधार पर संघर्ष और टकराव हुए हैं , जो यह दर्शाते हैं कि भाषा सिर्फ संवाद का एक साधन नहीं , बल्कि एक सामाजिक और राजनीतिक अस्तित्व का अहम हिस्सा बन सकती है। विश्व के विभिन्न हिस्सों में भाषा से संबंधित संघर्षों का इतिहास रहा है। यूरोप में स्पेनिश और इंग्लिश भाषा के विवादों के कारण कई आंदोलनों ने जन्म लिया। स्पेन और इंग्लैंड के बीच हुई भिन्नताओं ने विभिन्न भाषाई पहचान को गहरा प्रभाव डाला। इसी तरह , चीन ने अपने कब्जे वाले द्वीपों पर जबरदस्ती चीनी भाषा को लागू किया , जिससे यह साबित होता है कि भाषा का विस्ता...

गंगा जमुनी तहजीब - हकीकत

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राजनीति में धर्मनिरपेक्ष होने की पहली शर्त है गंगा जमुनी तहजीब के बारे में अधिक से अधिक बार जिक्र करना, जैसे कि यह शब्द ही सेक्युलर होने की पहचान है और इस शब्द पर सेक्युलर लोगों का कॉपीराइट है। यह शब्द कब बना, कैसे बना और किस आधार पर बना, इसपर मेरी रिसर्च अधूरी है। यह भारतीय राजनीति में बीते सात दशक से, कुछ राजनीतिक दलों के लिए अमृत समान है और इसी शब्द से उनका अस्तित्व बना रहा। जैसे क्रिकेट में फील्डिंग करने वाली टीम के मुंह पर आउट शब्द रखा रहता है उसी प्रकार उन लोगो के मुंह पर यह रखा रहता है। गंगा जमुनी तहजीब शब्द का अर्थ सभी ने अपने अनुसार बताया लेकिन ज्यादातर इसका इस्तेमाल दोनों समुदायों के साथ रहने और मिलजुलकर समाज में स्थान रखने को लेकर करते हैं। इसका अर्थ बताया जाता है कि दोनों समुदाय सुखमय रह रहे हैं परंतु राजनीतिक सेक्युलर लोग इसका विश्लेषण करते समय केवल मुस्लिम समुदाय के सुख की चिंता करते हुए देखे जा सकते हैं। एक समुदाय से गहरा लगाव आजकल धर्मनिरपेक्ष होने का भी अर्थ बन चुका है। इन राजनीतिक सेक्युलर जमात के लोगों ने ही इस शब्द को मुस्लिम तुष्टिकरण का पर्यावाची बना दिया गया है ...

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का नागपुर प्रस्थान

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नागपुर में तृतीय वर्ष प्रशिक्षण वर्ग में प्रणब मुखर्जी को मुख्यातिथि के रूप में संघ द्वारा बुलाया जाना भारतीय राजनीतिज्ञों के लिए एक विशिष्ट घटना थी। संघ विचारधारा का विरोध करने वाली कॉंग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रणब मुखर्जी जोकि आगे चलकर भारत के राष्ट्रपति बने, उनके एक कदम नें कॉंग्रेस पार्टी को भी चिंतित कर दिया। राष्ट्रपति के रूप में उनका कार्यकाल शुरू तो कॉंग्रेस राज में हुआ परंतु उनके कार्यकाल में ही कॉंग्रेस सत्ता का सूर्य अस्त  हो चुका था और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा का उदय हो चुका था। उनके संबंध प्रधानमंत्री मोदी से काफी मधुर रहे और जिस टकराव का अंदाजा कॉंग्रेस पार्टी की चाह थी वह संभव न हुआ। पूर्व राष्ट्रपति के रूप में भी प्रणब मुखर्जी नें अपने विचार स्पष्ट रूप से रखे और यही कारण था कि संघ के बुलावे को न सिर्फ स्वीकार किया बल्कि वो नागपुर संघ कार्यालय भी गए। संघ का संवाद हमेशा खुला होता है और राजनीतिक मतभेद से प्रभावित नहीं होता। संघ नें समय समय पर ऐसे वक्ताओं को आमंत्रित किया जोकि संघ को सार्वजनिक जीवन में कभी स्वीकार नहीं करते। संघ...

History of Mother's Day : मदर्स डे का इतिहास

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भारत का पश्चिमीकरण एक गंभीर समस्या है एवं यह सिर्फ रहन-सहन, खान-पान और कपड़ों से आगे बढ़ परंपराओं और त्यौहारों तक जा पहुंचा है। हालांकि भारतीय समाज विश्व के सभी तत्वों को आत्मसात करने और अपने अनुकूल ढालने में संकोच नहीं करता और न ही अन्य देशों की तरह प्रतिबंध लगाकर विचारों के प्रवाह को रोकता है।  कई बार पश्चिमी परंपराओं का निर्वहन करते करते हम स्वयं के विचारों को कुदृष्टि से देखने लगते हैं और यहाँ से शुरू होता है स्वयं पर अविश्वास। विदेशी परम्पराएं, त्यौहार आदि भारत के लिए खतरा नहीं हैं जबतक हम अपने स्वयं के परंपराओं और त्यौहारों को न भूलने लगें या स्वयं को कम आँकने लगें। सोशल मीडिया के इस युग में एक समस्या यह भी है कि पश्चिमी से विचार इस प्रकार भारतीय दिमाग पर हावी होते हैं कि हमको उन विचारों को समझने और जानने का समय ही नहीं मिलता। पश्चिम से आया फेमिनिज़म भारत में पनपने लगा परंतु इसके पीछे के कारण और इसके शुरू होने कि वजह से आज भी भारतीय युवा पीढ़ी अपरिचित है।    अवसर Mother's Day  का है और मेरा प्रयास मदर्स डे से युवाओं को परिचित कराने का है। अमेरिका से शुरू हुआ यह त्य...